उपन्यास की कहानी सत्य घटना पर आधारित है एक गांव में बड़ी हृदय विदारक बस नदी में डूबने की दुर्घटना बस के ड्राइवर की लापरवाही एवं अनाड़ीपन के कारण घट जाती है जिसमें लगभग 50 महिला पुरुष और बच्चे डूब जाते हैंघोर विपत्ति एसी कि गांव के लगभग 30 दामाद मृतकों में शामिल थे अर्थात गांव की 30 लड़कियां विधवा हो गई 4-5 की शादी को तो 3-4 साल ही हुए होते हैं। इस विपत्ति से कैसे पार पाया गया और कैसे जीवन में नई खुशियां लायीं गई एक परिवार के माध्यम से बताया गया है। ग्वालियर क्षेत्र के लोगों के लिए विशेष रूप से पठनीय कथा।कवि उपन्यासकार श्री भगवती भाई गोयल का जन्म विजयपुर जिला श्योपुर में जून 1959 में हुआ था हायर सेकेण्डरी तक शिक्षा पूर्ण करने के उपरान्त माधव इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी एण्ड साईन्स ग्वालियर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने हेतु 1975 में प्रवेश होने के उपरान्त सन् 1980 में सिविल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त हुई। साहित्यक अभिरूचि इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही प्रकट हो गई थी एवं कॉलेज की वार्षिक पुस्तिका में लेख व्यंग्य आदि छपते रहते थे। कॉलेज की पढ़ाई पूर्ण कर उसी कॉलेज में कुछ समय लैक्चरशिप करने के उपरान्त सन् 1982 में म.प्र. राज्य कृषि विपणन बोर्ड (मण्डी बोर्ड) में सहायक अभियंता नियुक्त होकर 1992 में कार्यपालन यंत्री की एवं सन् 2008 जनवरी में अधीक्षण यंत्री के पद पर पदोन्नति उपरान्त 30 जून 2020 में अपनी सेवा पूर्ण करने के उपरान्त सेवानिवृत्त हुए हैं। इस दौरान कवि ने पद्य एवं गद्य दोनों की रचना की है जो यदा कदा प्रकाशित भी हुई है। कवि की पुस्तकाकार रूप में पद्य रचनाओं का प्रकाशन *'एक इंजीनियर की काव्य वाटिका'... प्रकाशित हो चुकी है। अब डॉ राजीव सक्सेना संचालक कोष एवं ट्रेजरी के मार्गदर्शन दिये जाने के कारण एवं उत्साहित किये जाने के कारण लेखक ने यह उपन्यास लिखा है
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