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Description
Author
कबीर अपने को खुद कहते हैं : कहै कबीर दीवाना। एक-एक शब्द को सुनने की समझने की कोशिश करो। क्योंकि कबीर जैसे दीवाने मुश्किल से कभी होते हैं। अंगुलियों पर गिने जा सकते हैं। और उनकी दीवानगी ऐसी है कि तुम अपना अहोभाग्य समझना अगर उनकी सुराही की शराब से एक बूंद भी तुम्हारे कंठ में उतर जाए। अगर उनका पागलपन तुम्हें थोड़ा सा भी छू ले तो तुम स्वस्थ हो जाओगे। उनका पागलपन थोड़ा सा भी तुम्हें पकड़ ले तुम भी कबीर जैसा नाच उठो और गा उठो तो उससे बड़ा कोई धन्यभाग नहीं है। वही परम सौभाग्य है। सौभाग्यशालियों को ही उ