Kahi Ankahi: Ek Abhineta Ki Jazbati Zindagi


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About The Book

कबीर बेदी, एक अंतरराष्ट्रीय सितारा - अन्य सभी पुरुषों की तरह अपनी तमाम खूबियों और कमियों के साथ। जब कबीर बेदी अपना दिल खोलते हैं तो उससे कहानियाँ निकलने लगती हैं - जब वे दिल्ली में पढ़ते थे तो बीटल्स के साथ उनकी पहली जादुई मुलाक़ात। अचानक घर, दोस्तों और कॉलेज को छोड़कर मुंबई जाना। विज्ञापन की दुनिया में उनके रोमांच भरे पल, विदेश में उनका असाधारण रूप से सफल करियर और अनेक तकलीफ़देह नाकामयाबी। उन्मुक्त प्रतिमा बेदी और चकाचौंध से भरी परवीन बाबी के साथ उनके संबंध, जिसने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। इसके कारण जो खराशें रह गई, तीन बार हुए तलाक़ के सदमे, और आख़िरकार उनको किस तरह चैन हासिल हुआ। और क्यों उनकी मान्यताएँ बदल गई। उथल-पुथल से भरी ये कहानियाँ हॉलीवुड, बॉलीवुड और यूरोप में रची-बसी हैं। उन्होंने अपने दार्शनिक भारतीय पिता और ब्रिटेन में पैदा हुई अपनी माँ की दिलचस्प प्रेम कहानी भी सुनाई है, जो बहुत आला दर्जे की बौद्ध भिक्षु थीं। और सबसे मार्मिक है अपने स़िजो़फ्रेनिक बेटे को बचाने का संघर्ष। कही-अनकही एक ऐसे आदमी का असाधारण रूप से स्पष्टवादी संस्मरण है जो कुछ भी नहीं छिपाता, न प्यार में और न किस्सागोई में। यह दिल्ली के एक मध्यवर्गीय लड़के की कहानी है जिसका करियर आज विश्वव्यापी है। साथ ही, यह एक इंसान के बनने, बिगड़ने और फिर से खड़े होने की उतार-चढ़ाव से भरी कहानी भी है।
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