Kahi - Unkahi


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE

Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Fast Delivery
Fast Delivery
Sustainably Printed
Sustainably Printed
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.

About The Book

About the Book: यह पुस्तक कविताओं का एक संग्रह है जो लेखिका के जीवन की कहानी को उनके दृष्टिकोण से बताती है। लेखिका एक सुखी विवाहित गृहिणी है जिनके दो बच्चे और बहुत सारी जिम्मेदारियाँ हैं। यह कविताएं उनके उम्र के हर पड़ाव के अनुभवों के बारे में बात करती हैं। लोखिका ने सन् 2017 की 17 मई को अपने जज़्बातों को कलम करते हुए इस दौर की पहली कविता ‘मन की बात’ लिखी और फेसबुक पर उनके दोस्तों ने उसको खुद के ‘मन की बात’ माना और उसको अपने दिल के करीब जाना। उनके प्रोत्साहन पर लेखिका ने लिखना जारी रखा और देखते ही देखते यह उनका पसंदीदा शौक बन गया। ‘तलाश ‘अजनबी हमराह’ और ‘चाहत’ उनकी पसंदीदा कविताओं में से हैं इन सभी को दोस्तों ने सराहा और अधिक लिखने की प्रेरणा दी। इस किताब में लिखिका ने यही कोशिश की कि कविताओं में सभी भावों का मिश्रण हो। About the Author: मैं अनीता मोहन शाहजहाँपुर की निवासी हूं। मेरे जीवन का पहला चरण लखनऊ में बीता और मैं मनोविज्ञान में प्रस्नातक एवम नेट उत्तीर्ण हूं। कुछ वक्त मनोविज्ञान प्रवक्ता होने के बाद मैने सुइच्छा से अपने घर को अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। मुझे आज भी याद है जब हम क्लास 9th में थे तो स्कूल मैगज़ीन के लिए आर्टिकल लिखना सब के लिए ज़रूरी होता था हमने भी खानापूर्ति के लिए एक कविता लिख के जमा कर दी और यकीन था की छपेगी नही।परंतु ऐसा नही हुआ और वो छप गई।वो मेरी पहली कविता थी परन्तु आज मेरे पास वो कविता नही है क्योंकि उस चीज़ को हमने सिर्फ होमवर्क की तरह लिया और भुला दिया। बस इतना याद है वो अंग्रेजी में थी और कुछ सपनों से बावस्ता थी।फिर 12वी क्लास के बाद यूँ ही शेर लिखते फाड़ते रहे। शादी के बाद घर गृहस्थी में लीन हो गए। कलम उठाई भी तो बच्चो को पढ़ाने के लिए बस।
downArrow

Details