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About The Book
Description
Author
वह एक छोटा-सा क्यूबिकल था जिसमें आमने-सामने रखी दो कुर्सियां और बीच में एक मेज़ थी. इधर की कुर्सी पर मैं और सामने की कुर्सी पर बड़ी बिंदी वाली एक महिला बैठी थी. महिला के चेहरे को काली-स्लेटी तारों जैसे बालों ने जैसे बड़ी एहतियात से अपनी अंजुरी में समेटा हुआ था और लिक्विड आईलाइनर से चित्रित उसकी बड़ी-बड़ी कजरारी आंखों के नीचे मांस की छोटी-छोटी सुस्त-सी पोटलियां थीं जिन्हें उंगली से छूने का बार-बार मेरा मन कर रहा था. उसके शरीर से फूटती मंद-मंद सुगंध क्यूबिकल में फैली थी जो असहज करने की बजाए बड़ी शांति और सुकून का अहसास करवाती थी. अंदर आकर कुर्सी पर बैठने से पहले तक मैं दुविधा में थी और शंकित भी लेकिन जब तक हमारा परिचय हुआ और संक्षिप्त-सी रस्मी बातचीत तब तक मेरा मन शांत हो चुका था और मैं विश्रांत. यह ऐसा लक्षण था कि अपनी जिल्द उठा कर पलटने के लिए मन ही मन मैं तैयार हो चुकी हूँ.