पुस्तक के बारे मेंकलम की खामोशी एक भावनात्मक यात्रा है जो खुद को समझने सामाजिक यथार्थ प्रेम पीड़ा और उम्मीद के रंगों में रंगी हुई है। यह किताब तीन खंडों में विभाजित है- मेरे अहसास शिकायतें और ख़्वाब जो क्रमशः आत्मिक भावनाओं सामाजिक और व्यक्तिगत पीड़ा तथा अधूरे सपनों की अभिव्यक्ति करते हैं। कविताएँ कभी आत्म-स्वीकृति की गहराई में उतरती हैं तो कभी समाज के दायरों को चुनौती देती हैं। लेखिका कोमल शहानी की लेखनी में एक सच्चाई है जो हर पंक्ति को जीवंत बनाती है चाहे वह एक मासूम-सी परी की कहानी हो या एक स्त्री की खामोश लड़ाई। यह संग्रह उन अनकहे जज़्बातों की सदा है जो अक्सर दिल में रह जाते हैं पर कलम उन्हें आज़ादी देती है।
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