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About The Book
Description
Author
60 के दशक में उत्तराखंड की सबसे अल्पसंख्यक जनजाति राजी या वनरावतों पर उनका शोध प्रबंध ‘पूर्वी कुमांऊ तथा पश्चिमी नेपाल की राजी जनजाति’ (वनरावतों) की बोली का अनुशीलन इस जाति की भाषा पर पहला आधिकारिक अध्ययन है और प्रकाशनाधीन है। उत्तराखंड और नेपाल की सीमा में रहने वाले सबसे छोटी आदिम जनजाति वनरावतों पर लिखा उनका उपन्यास ‘काली वार-काली पार’ नेपाल के बदले हुए हालात और उसके ऐसा होने की अवश्यम्भाविता को समझने में मददगार है। उन्होंने बहुत सी कहानियां व्यंग्य एकांकी सामयिक लेखों की रचना की है। उत्तराखंड की ऐतिहासिक सांस्कृतिक और सामंतवाद के विरोध की परंपरा पर लिखी उनकी कहानियां पाठकों में काफी लोकप्रिय हैं।