कालिदास सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे। उन्हें संस्कृत साहित्य में मूर्धन्य कवि माना जाता है। उनकी सभी काव्य-कृतियां काव्य-मनीषियों द्वारा प्रशंसित हुई हैं। पर उनके नाटकों में जो साहित्यिक प्रतिभा का कमाल दिखा है वह बेजोड़ है।<br>नारी के अधर स्तन और नितम्बों के वर्णन में उनकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। यहां तक कि पार्वती के नख-शिव वर्णन में भी वे तनिक नहीं हिचकिचाए। पार्वती उनकी आराध्या थीं किंतु उनको भी कालिदास ने नायिका के रूप में चित्रित करने में अपनी श्रृंगार प्रियता का परिचय दिया जो कुछ लोगों को कदाचित् नहीं भाया। कालिदास अपनी उपमा के लिए जगविख्यात हैं।
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