Kalp Kayaa

About The Book

वासु के चार पुत्रों में प्रथम पुत्र अवधूत अवधूत का एकमात्र पुत्र चंद्रसेन चंद्रसेन का एकमात्र पुत्र (चार बहनों के अतिरिक्त) मुक्ती के चौथे संतान के रूप में प्रभाकर ग्वाल का जन्म अप्रैल 1971 को ग्राम नानकपाली थाना-तहसील सरायपाली जिला महासमुंद (पूर्व में जिला रायपुर) छ. ग. हुआ है।प्रभाकर ग्वाल का शारीरिक डील-डौल सामान्य है। स्वभाव दिखने में शांत बिल्कुल एक सामान्य चरवाहा जैसे। मन में हमेशा सकारात्मक सृजनकारी शक्ति का दावानल उद्वेलित होते रहता है। वचन से किसी क्रिया पर प्रतिक्रिया कम और नपे-तुले शब्दों में सटीक निष्पक्ष रूप से निकलता है। कभी-कभी प्रतिक्रिया व्यंग्यात्मक होने से लोग दुश्मनी रखते हैं लेकिन आज तक किसी बैरी के कारण शारीरिक या मानसिक क्षति नहीं हो पायी है। किसी भी समस्या को समझने और तत्काल समाधान ढूँढ़ लेने में कुदरती शक्तिसंपन्न हैं। कुछ तथ्यों का पूर्वाभाष भी सटीक होता है पर पूर्वाभाष और समाधान पर संबंधित व्यक्ति के द्वारा अमल करने या न करने पर परिणाम निश्चित और चिन्हित नहीं हो सकता है। बचपन से लेकर आज तक हर गलत कार्य का प्रतिकार करने का स्वभाव रहा है। हमेशा साधनसंपन्न व्यक्तियों से ही मतभेद प्रतिद्वंद्विता और संघर्ष रहा है।2003-04 में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के द्वारा सिविल जज प्रवेश परीक्षा आयोजित किया गया था जिसमें मुख्य परिक्षा में ही पुनः असफल हो गए। फिर 2005-06 में तीसरे प्रयास में सफल हो पाए हैं। न्यायिक षड्यंत्र को उजागर करने के लिए 2004 की सिविल जज परीक्षा के संबंध में भी लिखना आवश्यक होगा। सन् 2004 की सिविल जज परीक्षा में स्थानीय व्यक्ति जिसमें पिछड़ा वर्ग अनुसूचित वर्ग के प्रतिभागी अधिक संख्या में चयनित हो गए। यहां तक कि मनुवादी विचारधारा के लोगों की नींद हराम हो गयी जिसका मुख्य कारण टॉप टेन में स्थानीय लोगों का चयनित हो जाना है जिसका परिणाम अगली बार 2006 की सिविल जज की परीक्षा में देखने को मिला। परीक्षा में अंग्रेजी एवं हिन्दी अनुवाद को कठिन कर दिया गया जिससे हिन्दी मीडियम के स्थानीय प्रतियोगी कोई टॉप में जगह न बना सके। लेकिन छत्तीसगढ़ के कुछ प्रतियोगी अच्छे अंक से सफल भी हुए जिसमें तेजीश्वरी देवी देवांगन बालाराम साहू दीपक गुप्ता आदि शामिल हैं। सिविल जज परीक्षा 2006 के पूर्ण विवरण का वर्णन करने के पहले 2004 की परीक्षा में एक सबसे गंभीर आपराधिक षड्यंत्र को लिखना आवश्यक है। जजों के द्वारा अन्याय करने वाले अपराधियों को कैसे संरक्षण दिया जाता है और न्याय को कैसे निष्फल कर दिया जाता है किया जा रहा है यह पुस्तक ऐसी ही जीवित प्रत्यक्ष घटनाओं का संग्रह है।
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