कलम से लगाव कहूँ या प्रेम जो बचपन से ही रहा; लेककन कलम के संग अब भी यह ज ड़ाव मेरा सौभाग्य ही है। म झे लगता है कक हर व्यक्ति हर पल क छ न क छ कलख रहा होता है– कोई पन्ों में तो कोई अंतममन में। भाव तो हर व्यक्ति के अंदर कवद्यमान है। मेरा भी एक सपना था कक अपने जीते जी मैं क छ तो अच्छा करूँ जो मेरे बाद भी रहे यही कवचार म झे अक्षरजननी तक पहूँचाता गया और काव्य-सृजन होता गया। म झे ज्ञात नहीं था कक ऐसा सचम च हो सकता है लेककन कहते हैं न- जहाूँ चाह वहीं राह और मेरे सतग रु ‘परम संत कूँवर कसंह महाराजजी’ की रहानी ताकत के साथ कवद्या की देवी माूँ सरस्वती का आशीवामद कमलता गया और आज दूसरा संग्रह भी आपके हाथ में है। मेरा पहला काव्य संग्रह रहा ’ओझल दर्पण’ जो 2021 में प्रकाकशत हआ है।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.