काल्पनिक कथा पर आधारित यह काव्य कल्याणी विभ्रमित ज्ञान से क्रिया की काम - वासना से निश्छल प्रेम की कामना से कर्म की वासना से चेतना की एवं कलुष से आनंद की यात्रा है । नायक पथिक नायिका कल्याणी एवं छलना तीनो पात्रों के चरित्र एवं उनके संघर्ष और चुनाव उनके जीवन की दिशा एवं सुख - दुःख का निर्धारण करते हैं । तरणी डूब जीने के पश्चात नदी की धारा में बहता पथिक जब कल्याणी से मिलता है तो उसे इस बात का कोई भान नहीं है कि उसका जीवन किस नई दिशा में मुड़ने वाला है ।
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