डॉ. मनोज कुमार की पुस्तक कमलेश्वर और हिन्दी पत्रकारिता को पढ़कर मुझे अत्यन्त सुख का अनुभव हुआ। शायद इसलिए भी कमलेश्वर जी के बारे में और उनकी पत्रकारिता के बारे में कहने से पूर्व मैं यह कहना चाहूँगा कि यह प्रसन्नता इसलिए है कि मैं और कमलेश्वर जी दोनों मैनपुरी में सन् 1932 में पैदा हुए थे। आजादी से पूर्व जो मैनपुरी स्वतंत्रता संग्राम में अपनी अग्रणी भूमिका के लिए जानी जाती थी वो आजादी के बाद कमलेश्वर की जन्मभूमि के नाम से महिमामंडित हुई। इस पुस्तक के पढ़ने से स्पष्ट है कि डॉ. मनोज कुमार ने अध्ययन और परिश्रम किया है। कमलेश्वर जी की पत्रकारिता और उनके साहित्य को दिये गये योगदान का भी गहराई से अध्ययन किया है। कमलेश्वर जी आजादी के बाद के हिंदी लेखकों में अपनी सर्वाधिक बहुमुखी प्रतिभा और अपने वामपंथी लेखन को लेकर चर्चित हुए। उनके एक दर्जन उपन्यास हैं दर्जन कहानी संग्रह हैं सौ से अधिक फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी और संस्मरण हैं। यह सब अपनी-अपनी जगह उनकी बड़ी सफलताएँ हैं। उनके उपन्यासों और सभी रचनाओं में जिसमें पत्रकारिता भी शामिल है समाज की विसंगतियों विषमताओं और विद्रूपता को रेखांकित किया है। साथ ही साथ उनके समाधान का भी संकेत दिया है। मनुष्य और मनुष्य के बीच में किसी भी आधार पर किसी भी तरह की गैर-बराबरी कमलेश्वर जी के लेखन को स्वीकार नहीं है। सामाजिक राजनैतिक धार्मिक और आर्थिक विषमता के विरूद्ध वह सदैव सतर्क एवं सचेत रहे हैं। यही गुण उन्हें महिमामंडित करता है। उन्होंने जग और जीवन को सुखी और जीने योग्य बनाने के लिए जीवन-भर प्रयास किया।
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