सदविचारों की अगरबत्तियां मन-मंदिर में भर दे सुगंध।फिर जीवन हो प्रेरणास्पद निश्चय वो व्यक्तित्व मकरंद।।कमरे में- ये पुस्तक दो खंड में आपके सेवार्थ उपस्थित है। विचार और काव्य खंड। विचार-दर्शन खंड में समाहित विचार व्यक्तित्व निर्माण करने में सार्थ है। काव्य-दर्शन खंड में कविताएं समाज में फैले विकृतियों पर खुला चोट करती है और नूतन दिशा की इशारा भी। मुक्त छंद प्रेरणाप्रद के साथ-साथ आपके होठों पे बसने के लिए एक जगह भी बनाती है। चूंकि छंद में अधिकांशतः सरल और सुगम शब्दों का प्रयोग किया गया है। विश्वास हैआपको ये पुस्तक कमरे में जरुर पसंद आएगी।और अंत में एक बात का जिक्र करना पसंद करेंगे- किसी भी पुस्तक को प्रसन्न चित्त और दूरदर्शी आंखों से जब पढ़ी जाती है तो पुस्तक अपने उद्देश्य पर ज़रुर खरी उतरती है।ये दूरदर्शी आंखें और मुस्कुराते चेहरे क्या खूब।यही ईश्वर की नेमत यही खूबसूरती का महबूब।।धन्यवाद!सरयुग पंडित’सौम्य’9199515085
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