लेखक अपने आलेखों की भाव-श्रृंखला में जीवन की नई परिभाषाएँ दर्शन की लुप्त लकीर के साथ रेखांकित कर जाते हैं। आलेख ''दु:ख के शैल सुख की सरिता'' में मानव की दैनन्दिन डायरी के पन्ने खोलकर लिखते हैं- ''''दु:ख के इस पंक में खुुशियों के कमल खिलाने के संघर्ष और प्रयासों का नाम जि़न्दगी है।'''' यह विश्वास का हाथ थामे भावयात्री का कोई अनुभूत सत्य जान पड़ता है। दशरथ मूलत: कवि है इसलिए वह जीवन को कविता से एकमेव होकर देखते हैं। ''जीवन काव्य'' आलेख मानव जगत और सृष्टि की लय संगति सुर और ध्वनि के परिप्रेक्ष्य में जीवन के काव्य पक्ष का शाब्दिक निरूपण है। वे कर्म को काव्य-सौन्दर्य से जोडकर देखते हैं। जीवन-व्यवहार और कविता का साम्य और संतुलन इनका अभीष्ट है। वे लिखते हैं- ''''वस्तुत: कविता प्रत्येक कण का स्वभाव है। उससे परिचय हो हमारा तो जीवन कितना सरल हो जाए।'''' इन भाव आलेखों के पठन से यह प्रतीत होता है कि लेखक ने न केवल कविता व कविता के पक्ष को जाना है अपितु उसके जीवन व व्यवहार पक्ष से भी परिचय प्राप्त किया है। पेड़ पक्षी मौसम नदी पर्व सहित प्रकृति से आत्मीय समरसता इसी परिचय को प्रदर्शित करती है।
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