कानपुर शहर के बीचो-बीच से गुजरती मेट्रो यात्रियों के लिए एक वरदान से कम नहीं है। मगर कई बार एक वरदान को श्राप में बदलते हुए देर नहीं लगती। पूर्णिमा की एक अनोखी रात को कानपुर मेट्रो को ऐसा ही एक श्राप लगा और उसने पकड़ ली..... भय की तेज़ रफ्तार।
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