Karamyog : Bhagwat Gita Ka Manovigyan - Bhag-3 (कर्मयोग : भगवत गीता का मनोविज्ञान - भाग-3) & Prabhu Ki Pagdandiyan (प्रभु की पगडंडियां)
Hindi

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This combo product is bundled in India but the publishing origin of this title may vary.Publication date of this bundle is the creation date of this bundle; the actual publication date of child items may vary.करुणा यानी एक जीवंत प्रेम का प्रवाह। करुणा का अर्थ है: बहता हुआ प्रेम। जिसे हम प्रेम कहते हैं वह प्रेम बंधा हुआ प्रेम है वह किसी एक पर बंध कर बैठ जाता है। और प्रेम जब बंध जाता है तब वह भी करुणापूर्ण नहीं रह जाता है वह भी हिंसापूर्ण हो जाता है। जब मैं किसी एक को प्रेम करता हूं तो अनजाने ही मैं शेष सारे जगत के प्रति अप्रेम से भर जाता हूं। और यह कैसे संभव है कि इतने बड़े जगत को मैं अप्रेम करूं और किसी एक को प्रेम कर सकूँ?नहीं वह एक के प्रति प्रेम भी मेरा झूठा ही होगा क्योंकि इतने विराट जगत के प्रति जिसका कोई प्रेम नहीं उसका एक के प्रति प्रेम कैसे हो सकता है?ओशोपुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:• वर्तमान में जीने के सूत्र• करुणा और ध्यान• मैत्री का अर्थ• प्रेम और ध्यान• मुदिता• उपेक्षाओशो के प्रखर विचारों ने ओजस्वी वाणी ने मनुष्यता के दुश्मनों पर संप्रदायों पर मठाधीशों पर अंधे राजनेताओं पर जोरदार प्रहार किया। लेकिन पत्र-पत्रिकाओं ने छापीं या तो ओशो पर चटपटी मनगढंत खबरें या उनकी निंदा की भ्रम के बादल फैलाए। ये भ्रम के बादल आड़े आ गये ओशो और लोगों के। जैसे सूरज के आगे बादल आ जाते हैं। इससे देर हुई। इससे देर हो रही है मनुष्य के सौभाग्य को मनुष्य तक पहुंचने में।
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