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About The Book
Description
Author
कर्म’ आज के दौर में इस शब्द का प्रयोग बहुत किया जाता है। लोग इसे एक बही खाते की तरह समझते हैं जिसमें हमारे अच्छेबुरे कार्यों और विचारों का हिसाब रखा जाता है एक ऐसी व्यवस्था जो यह सुनिश्चित करती है कि अच्छे के साथ अच्छा हो और बुरे के साथ बुरा। इस सरल समझ ने हमारे जीवन में कई उलझने पैदा कर दी हैं।इस पुस्तक के द्वारा सद्गुरु न सिर्फ यह समझाते हैं कि कर्म क्या है बल्कि वे हमें यह भी बताते हैं कि चुनौतियों भरे इस जीवन में हम अपनी राह कैसे खोज सकते हैं।