Karuna Aur Kranti (करुणा और क्रांति)
Hindi

About The Book

आदमी कहां गलत हो गया है? आदमी ने स्वाभाविक और प्राकृतिक होने की हिम्मत नहीं की है। यह उसकी बुनियादी गलती हो गई है। आदमी ने कुछ और होने की कोशिश की है-जजो वह है उससे। पशु पशु हैं पक्षी पक्षी हैं पौधे पौधे हैं। अगर एक गुलाब में कांटे हैं तो वह इस परेशानी में नहीं पड़ा रहता कि मैं बिना कांटों का कैसे हो जाऊं? वह अपने कांटों को भी स्वीकार करता है अपने फूल को भी स्वीकार करता है। उसकी स्वीकृति में कांटों से विरोध और फूल से प्रेम नहीं है। उसकी स्वीकृति में कांटे और फूल दोनों समाविष्ट हैं। इसलिए गुलाब प्रसन्न है क्योंकि उसे कोई अंग काटने नहीं हैं। कोई पक्षी अपने एक पंख को इनकार नहीं करता है और एक को स्वीकार नहीं करता है। और कोई पशु अपनी जिंदगी को आधा-आधा तोड़ कर स्वीकार नहीं करता है पूरी ही स्वीकार कर लेता हैओशपुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदुः मनुष्य एक रोग क्यों हो गया है* ध्यान का अर्थ है समर्पण टोटल लेट-ग* मन के कैदखाने से मुक्ति के उपा* जिंदगी के रूपांतरण का क्या मतलब है* करुणा अहिंसा दया प्रेम इन सबमें क्या फर्क है?.
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