इस किताब को लिखने का ख़याल मेरे दिमाग में यहाँ से आया कि जब मैंने देखा कि शहरों के ज्यादातर लोग अपनी पुरानी भारतीय परम्पराओं मान्यताओं चीजों को छोड़ कर बिना अपना दिमाग लगाये अंधे होकर विदेशी परम्पराओं मान्यताओं चीजों को अपना रहे हैं और अपने आपको बहुत मॉडर्न समझ रहे हैं और उन गाँव के लोगों को जो अपनी पुरानी भारतीय परम्पराओं और मान्यताओं को मान रहे हैं उन्हें गवार देहाती और बेवकूफ समझ रहे हैं। मैंने देखा कि शहर वाले अपनी ही पुरानी भारतीय परम्पराओं मान्यताओं चीजों का मजाक उड़ाते हैं। उनको अंधविश्वास बेकार फालतू समझते हैं। तब मैंने तय किया कि उन सभी को बताऊँगा कि हमारी पुरानी भारतीय परम्परायें मान्यतायें अंधविश्वास नहीं हैं बल्कि उनके पीछे एक विज्ञान (साइंस) है। हमारी भारतीय परम्पराओं को बनाने वाले बेवकूफ नहीं बल्कि बहुत बुद्धिमान थे।
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