विखंडनवाद उत्तर संरचनावाद उत्तर आधुनिकता ने नई कविता की अनेक अवधारणाओं को प्रभावित किया। ''''आठवें दशक में क्रियाशील फ्रांसीसी और अमरीकी विचारक कई अर्थों में एक-दूसरे के विरोधी होते हुए भी अनेक अर्थों में एक-दूसरे के निकट भी प्रतीत होते हैं। समान प्रतीत होते हैं। वे मानव जगत के यथार्थ को विखंडित कर उसमें परस्पर विरोधी और विजातीय तथा बहुवाची या अनेकताधर्मी (Plural) स्थितियों के अन्वेषण पर बल देते हैं। उनकी दृष्टि में मानव ''यथार्थ'' कोई ''वस्तुनिष्ठ'' यथार्थ नहीं चिर परिवर्तनशील है। सामाजिक विकास परिवर्तनगामी है। अत: कला दर्शन प्रौद्योगिकी आदि में विकास की स्थितियों को आधुनिकतावाद में ठीक से नहीं समझा गया। उसे पुन: समझने की आवश्यकता है।'''' क्षण-क्षण परिवर्तनशील संसार में सामंजस्य किसी भी पदार्थ के अस्तित्व के लिए प्रथम शर्त है और इसीलिए सामंजस्य हर जीव-जड़ का लक्ष्य भी है। अत: यह कहना नितांत आवश्यक है कि द्वंद्व तनाव और संघर्ष बेशक प्रासंगिक हैं— जीवन में भी और कविता में भी किंतु जीवन और कविता के बचे रहने की सीमा तक। मृत-कविता में अनुसंधान संभव है जीवन नहीं। ''कविता के नए प्रतिमान : एक पुनर्विचार'' काव्य-सृजन की नवीनतम परिस्थितियों और नवीनतम काव्य-चिंतन के आलोक में ''जीवंत कविता'' के प्रतिमानों की पहचान करने का प्रयास है।
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