जीवन सफलता पूर्वक जीना एक कठिन कार्य है। पग पग पर विपरीत परिस्थितियां पारिवारिक एवं सामाजिक कड़वाहट आदमी का जीना दूभर कर देती हैं। निराशा का माहौल अच्छे भले जीवन को अपने आगोश में ले लेता है। रूपया धन बुद्धि से मनुष्य सुख के साधन तो बटोर लेता है लेकिन आनन्द और सुख से कोसों दूर रहता है। चेहरा कान्ति हीन और तनाव युक्त रहता है। मन हृदय की विश्रान्ति अवस्था से दूर रहता है। परम पूज्य गुरुदेव के सानिध्य और 32 वर्षों के निरन्तर स्मरण से जिन रूहानी गहराइयों की दिव्य अनुभूति और आनंद की प्राप्ति हुई उन अनुभवों को “काव्य प्रसून“ पुष्पमाला के रूप में समाज की सुख शांति के लिए ये रचना समर्पित और प्रस्तुत है। गृहस्थ जीवन जीते हुए कैसे ऊर्ध्व मुखी होकर ईश्वर के आनन्द मयी संसार में विचरण करते रहें यही इस रचना का उद्देश्य है। एकरसता को दूर करने के लिए कुछ हल्की रचनाएँ भी शामिल हैं। पढ़िए और परमानन्द में डूबिए। रचना कार अमरनाथ चौरसिया
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