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About The Book
Description
Author
धड़कन पैदा करके स्पंदन बन के सागर की लहरों जैसा अठखेली करते जीवन जी लें उसमें क्या रखा है जिसकी चाहत सबको है हम दोनों अद्भुत हैं विरले हैं तब तो लिखते-पढ़ते रहते हैं यादों को शब्दों से सींचा करते हैं सुनते और सुनाते हैं वीणा के तारों जैसा उसको झंकृत करते रहते हैं जल-थल-नभ के मिलने जैसा दृश्य बना है आओ नाचें सपने में यादों को संचित करके हो प्रलय-विलय उनका सपने में राही बस चलता जा उन लम्हों में।