एक संवेदनशील कवि-हृदय की धड़कन और एक वैज्ञानिक की नज़र-दोनों का संगम गौहर रज़ा की नज़्मों और ग़ज़लों की जान है। उर्दू की ख़ूबसूरती और हिन्दी की सादगी को शब्दों में पिरोने वाले गौहर रज़ा२०१६ तक वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद में वरिष्ठ वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत रहे । शायर और वैज्ञानिक होने के साथ-साथ वे एक सक्रिय सोशल एक्टिविस्ट और डॉक्यूमेंट्री निर्माता भी हैं । आम लोगों में 'वैज्ञानिक चेतना जगाने' पर शोध के लिए अपनी अंतर्राष्ट्रीय पहचान रखते हैं और कई सरकारी व ग़ैर-सरकारी संस्थानों के फ़ेलो (fellow) और एडवाइज़र भी हैं। गौहर रज़ा की शायरी के बारे में मशहूर आलोचक और कवि अशोक वाजपेयी का कहना है कविता एक तरह की ज़िद है उम्मीद के लिए और हमें कृतज्ञ होना चाहिए कि ऐसी कविता हमारे बीच और साथ है।
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