यशस्वी साहित्यकार अमृतलाल नागर का चर्चित उपन्यास ‘खंजन नयन’ महाकवि सूरदास के गरिमामय जीवन की सार्थक प्रस्तुति है। नागर जी ने अपने उपन्यास ‘मानस का हंस’ में तुलसीदास की जीवन-गाथा को उपन्यास के रूप में प्रस्तुत किया था-उसी क्रम में सूरदास के जीवन के विभिन्न पक्षों का चित्रण इस कृति के माध्यम से किया है। सूरदास के व्यक्तित्व को नागर जी ने तीन स्तरों पर प्रस्तुत किया है-तल अतल और सुतल। व्यक्तित्व के भीतर अनेक व्यक्तित्व होते हैं। नागर जी ने भी महाकवि को सूरज सूरस्वामी सूरश्याम सूरदास अनेक रूप दिए हैं और अन्त में जहां ये तीनों रूप समरस होते हैं वहां सूरदास राधामय हो जाते हैं। डेढ़ वर्ष की साधना के पश्चात् नागर जी ने महाकवि की निर्वाण-स्थली परासौली में बैठकर यह उपन्यास पूरा किया था । उनकी निष्ठा श्रद्धा सूर के प्रति समर्पण के दर्शन इस उपन्यास के माध्यम से पाठकों को अवश्य होंगे।
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