ख्यालों से अल्फ़ाज़ों तक' एक कविता संग्रह है और जैसा की नाम दर्शाता है यह कविताएँ वो ख्याल और तजुर्बे है जो हम दोस्तों ने कॉलेज के दिनों में कभी क्लास की बैंच पर और कभी चाय की टपरी पर बैठकर एक-दूसरे से साझा किए हैं। यह सभी कविताएँ हमारे जीवन की प्रेम परिस्थितियाँ हमारे आपसी संवाद प्यार झगड़े मुस्कान शिकायत सभी को दर्शाती है। यह वो सारे पल हैं जो हम सब ने कभी ना कभी जिए हैं और जिन्हें वक्त गुजरने के बाद हम अक्सर याद करके मुस्कुराते हैं। सादे शब्दों में प्यार के अच्छे और बुरे दोनो लम्हों को पन्नों पर लिखकर सहेज दिया गया है। और अब यादों की तरह वक्त भी इन्हे मिटा नहीं पाएगा।औरमै कोई शायर नहीं हूंजो दिल मे आया वही लिखता हूंमैं ज्यादा चिंतन नहीं करताशब्द अपने आप जुड़ते जाते हैंजब भी उसे याद करता हूंउसका हर एक लफ्जउसकी हर एक अदा ही तो मेरा कलाम है।वो है तो हाथ में कलम है उसके बिना तो में कुछ भी नहीं हैमै कोई शायर नहीं है।
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