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About The Book
Description
Author
बहुत से लोगों की तरह मेरा भी मानना था कि जो कुछ भी कवि को कहना होता है वह अपनी कविता में कह चुका होता है । फिर लगा कि नहीं सब कुछ कह चुकता तो नई कविता न लिखता । हर नई कविता के बाद भी कुछ तो रह ही जाता है जिसे व्यक्त करने की बेचैनी होती है कवि के मन में । सामान्य जीवन में व्यक्ति अपनी बात कह कर खत्म करता है परन्तु सामान्य से कवि वहीं अलग हो जाता है ।