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About The Book
Description
Author
युद्ध हो या कोई भी आपातकाल उसके दौरान मानवीय स्थिति का लेखा जोखा होती है उस दौर की कहानियाँकविताएं उस दौर के गीत या दैनंदिनी । संयुक्त परिवार में रहने वाली एक मध्यमवर्गीय शहरी महिला किस कदर अपने सामने कोरोना काल को पसरते देखती है और उसके अपने अंदरूनी और बाहरी संसार मे हुए उथल पुथल को जिस स्पंदन से महसूस करती है उसी का हासिल है यह कविता संग्रह। जिसकी हर कविता उम्मीद से है जिसके गर्भ में अजन्मी अनकही कहानियाँ करवट ले रही है।