जहां कबीर रहीम के दोहे सिखलाते हैं प्रेम की आखर जहां बुद्ध की सुंदर वाणी कर देते हैं सत्य उजागर जहां गुरु नारायण होते राम कृष्ण लेते अवतार जहां मित्र के हाल पर रोते करूणाकर के नेत्र बेजार। -इसी संग्रह से खिलते प्रसून एक कविता संग्रह है। इस पुस्तक में विभिन्न अवसरों के लिए उपयुक्त कवितायें हैं जो प्रकृति के समस्त रंगों को दर्शाती हैं तथा समाज और देश के सभी रूपों को उजागर करती हैं संवेदना के अनंत भावों को जगाती है दर्द-वेदना अपार स्नेह प्यार-मनुहार तथा कर्तव्यों को भी महसूस करने की क्षमता रखती है। अनेकों पाठकों ने इन कविताओं को खूब पसंद किया और सराहा है। आपलोग भी अपनी अनमोल प्रतिक्रिया जरूर दें।
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