मन अपने को बहलाने के लिए अपनी मोह-माया को बनाए रखने के लिए कुछ-न-कुछ उपाय ढूँढ ही लेता है।<br>- पदुमलाल पुन्नालाल बख़्शी<br>'खुशी का ओ.टी.पी.' पुस्तक भी कुछ यही करने का संकल्प लेकर हमारे समक्ष आयी है। उपाय ढूंढते रहना और संतुलित सुखी ख़ुशहाल जीवन जीते रहना ही तो जीवन का उद्देश्य है। जीवन जीने के मर्म को समझाने के लिए बहुत ही सुन्दर शीर्षक 'खुशी का ओ.टी.पी.' के साथ अपनी बात रखते हुए फ़रीदाबाद की सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. अंजु दुआ जैमिनी जी ने महत्वपूर्ण निर्देशों को संकलित करने का सफल प्रयास किया है।<br>खुशी क्या है? कैसे पहचानें? पहचान लें तो किस तरह की प्रतिक्रिया हो कि ख़ुशी से मन को सबल बनाने के लिए खुद को औरों को रिश्तों को कठिनाइयों को समाधान के उपायों को जानने व समझने तथा अमल में लाने के लिए बेहतर मार्गदर्शिका है यह पुस्तक ।<br>-डॉ. दुर्गा सिन्हा 'उदार'
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