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About The Book
Description
Author
कक्षा 8 वीं से लिखने लगी थीपर कहां देना है ये छपने को ये पता नही थासो लिख-लिख कर रखती रहीबी ए प्रथम मे आकाशवाणी जगदलपुर मे पहली बार अपनी रचना को प्रस्तुत करने का अवसर मिलापर अखबार मे नही दे सकीपता ही नही था तब कहां देना हैकैसे देना है फिर 1986 में कुछ सहेलियों के साथ एक सिने समिति बनाई जिसमे बस्तर के सभी पर्यटन और दर्शनीय स्थल का वृत्तचित्र बनाना थाउस समय एक कंपनी हुआ करती थी स्टर्लिंग ये विडियो कैसेट रिलिज करने के लिए स्टर्लिंग के बाबूभाई को एक पत्र लिखी बहुत मुश्किल मे मिला था उनका पतावहां से ये कहा गया कि टाईप करके भेजें हाथ से लिखा हुआ मान्य नही हैऔर फिर इधर घर से भी परमिशन नही मिली बहुत छोटे हो पढाई लिखाई मे ध्यान दो कह कर जब हम बिलासपुर आ गये अपने मकान मे वहाध आकाशवाणी बिलासपुर मे कुछ प्रसारित हुआ ये 92-94 का समय थाइस समय मे पत्रकार बनी इसी दौर मे शांति धारावाहिक आता था मेरी सहेलियां मुझे शांति कहा करती थी 91 मे मै जवाहर यादव जी से मिली लोक कलाकारों के साथ बहुत अच्छा काम करते थे इसी दौरान बालको संगीत सरिता के जय राम साहू जय जी ने आमंत्रित किया अपनी संस्था मे जुड़ने को यही समय था जब कुछ समय के लिए दैनिक भास्कर मे रही और कुछ समय के लिए नवभारत मे रही यहां मुझे कुमार साहू जी से बहुत कुछ सीखने को मिलाउनका विशेष स्नेह और आशीष मिला इस बीच मोहल्ले के बच्चों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाती थी इस समय हबीब तनवीर जी का बुलावा आया मै तो फैन थी ही खुशी और उमंग से भर गया मनपर घर से इजाजत नहीं थीमैने पत्र लिख कर भेजा कि घर मे अनुमति नही है बाहर जाने कीतब हबीब जी ने पोस्टकार्ड लीख कर भेजा कि कोई बात नही आप अपने पिता जी के साथ ही आ जाईयेमेरी खुशी का अंदाजा कोई नही लगा सकतापर इस बार भी इजाजत नही मिली 95 से शादी के बाद 2006 तक सब कुछ बंद था 2006 से आक