Kinnar…Hashiye Ka jeevan

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एक व्यक्ति अपनी लिंग पहचान को कैसे बताता है - पोशाक व्यवहार आवाज या शरीर की विशेषताओं के माध्यम से यही उनकी लिंग अभिव्यक्ति है । किसी व्यक्ति का पुरुष महिला या कुछ और होने का आंतरिक भाव उनकी लैंगिक पहचान है । भारत में किन्नरों को सामाजिक तौर पर बहिष्कृत ही कर दिया जाता है । उन्हें समाज से अलग-थलग कर दिया जाता है । इसका मुख्य कारण यह है कि उन्हें न तो पुरुषों में रखा जा सकता है और न ही महिलाओं में जो कि लैंगिक आधार पर विभाजन की पुरातन व्यवस्था का अंग है । जबकि भारतीय जीवन दर्शन में तो ‘जीव-मात्र’ के अधिकारों की बात कही गयी है फिर ये जानवरों से भी बदतर जीवन जीने के लिए क्यों मजबूर हो जाते हैं? चाहे बाजार हो या गली-मोहल्ला हर जगह लोग इन्हें अजीब नजरों से घूरते मिल जायेंगे । इन्हें व्यावसायिक प्रतिष्ठानों दुकानों आदि में मजदूरी का कार्य भी नहीं मिलता और ऐसे में ‘जीवन-यापन’ के लिए ये लोग सम्मानपूर्वक कार्य भी नहीं कर सकते हैं । लैंगिक विकलांगता से ग्रसित इन इंसानों की गिनती न तो पुरुषों में होती है और न ही महिलाओं में और ऐसे में अपने अस्तित्व को लेकर असमंजस की हालत में अपने परिवार में ही इनकी इतनी उपेक्षा होती है कि इनका स्थान बेहद दयनीय हो जाता है । खुद परिवार के लोग यह बताते हुए शर्मिंदगी महसूस करते हैं कि यह बच्चा उनके परिवार में पैदा हुआ है । इसलिए ऐसे लोग पहले परिवार से फिर समाज से कटने लगते हैं जो स्वाभाविक ही है । धीरे-धीरे अपने जैसे लोगों की खोज करते हुए ट्रांसजेंडरों ने एक समुदाय बना लिया जिसे किन्नर समुदाय कहते हैं । ट्रांसजेंडर एक अंब्रेला शब्द है इस शब्द का प्रयोग कई तरीकों से भी किया जाता है । Transgender दो शब्दों को मिलाकर बना है -Trans + gender! Trans का अर्थ होता है अपोजिट यानी उल्टा Gender का अर्थ होता है लिंग ।
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