Kismat Ka Khel

About The Book

किस्मत का खेल यह उस एक ग़रीब किसान की कथा है. जिसने आजीवन अपनी ग़रीबी के कारण अपने जीवन में कितने ही उतार-चढ़ाव देखें हैं. फिर भी उसे सफलता नहीं मिलती है. किंतु इससे ग़रीब निराश नहीं हुआ. उसने अपना संघर्ष जारी रखा. कहते हैं जीवन का दूसरा नाम संघर्ष है. जब ज़मींदार ठाकुर साहूकार जैसे लोगों के अत्याचारों से ग़रीब किसानों को कुचला जाता है. तब ऐसे ग़रीब लोगों के लिए ईश्वर ही सहारा होता है. उसके घर देर है अंधेर नहीं अंत में सत्य की विजय होती है असत्य की पराजय. किसान स्वयं अपना समपूर्ण जीवन ग़रीबी में ही जीवन व्यतीत किया. लेकिन अपने पुत्र को शिक्षित करने में कठिन परिश्रम किया. यह कथा उसी किसान के पुत्र की एक और हमशकल होने पर आधारित है. जिससे अचानक अरबपति बनने का अवसर प्राप्त होता है? प्रेम ईश्वर की देन है. किंतु इसे ऊँच-नीच के बंधन में समाज ने बांध दिए हैं. लेकिन फिर भी ईश्वर चाहे तो क्या नहीं हो सकता? यही है किस्मत का खेल
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