सांसों की किस्तें :: जिंदगी क्या है सांसों की किस्तों का निपटारा है। किस्तों का सहारा है। जिंदगी किस्तों का पिटारा है। अरविंदजी ने किस्तों पर किताब का नाम ही रख दिया है। उनकी रचना “किस्तों में जिंदगी” में नयी तकनीक से कुछ कमाल के जुमले हैं। पूरी किताब ही किस्त प्रधान है। हमारे इर्द गिर्द की दुनिया तेजी से बदल गयी है। बदलती हुई दुनिया को पकड़ने का हुनर अरविंदजी रखते हैं। तकनीक से व्यंग्य निकालने की अद्भुत क्षमता उनमें है। अपने वक्त को समझने के लिए यह व्यंग्यात्मक लहजे में लिखी गयी गंभीर किताब है। शुभकामनाओं सहित। :: डा० आलोक पुराणिक
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