KIVADON PAR THAP : AWADHNARAYAN MUDGAL KI KAVITAYEN

About The Book

अवध नारायण मुद्गल की रचना यात्रा का प्रारंभ गांधी जी पर एक कविता लिखने से हुआ। आगरा की समृद्धि साहित्यिक बैठकों में इन्होंने अपनी रचनाएं सुनाई तो सन 1953 में कविता प्रकाशन का सिलसिला और कवि सम्मेलनों में जाना प्रारंभ हो गया। अपने कवि गुरु रामगोपाल शर्मा दिनेश के सानिध्य में अवध जी ने संस्कार पाए और फिर 'माध्यम' सहित देश के प्रमुख पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं प्रकाशित होने लगी। लखनऊ में इन्हें अमृतलाल नागर व यशपाल तथा शिव वर्मा के साथ एक नया आकाश मिला और इनकी कविताओं-कहानियों का संसार और व्यापक हुआ। कमलेश्वर को दुष्यंत के बाद इनकी गजलें सर्वाधिक पसंद थी। 'सारिका' सरीखी कथा पत्रिका में इनकी गजलों के प्रकाशन से एक समूची पीढ़ी प्रभावित हुई।यह संग्रह उनकी कविता के विविध रूपों को तो एक साथ रखता ही है यह भी बताता है कि कैसे उनका समूचा समय उनकी रचनाओं में बोलता और ख़ौलता है। उन्हें उनकी कविताओं के माध्यम से अधिक गहराई से समझ समझा जा सकता है। यह संग्रह उनकी कविता-यात्रा की समूची और प्रामाणिक प्रस्तुति है।
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