मीना सूद अपने काव्य संग्रह कोई ऐसा मौसम जी लूँ के साथ अपने पाठकों के समक्ष हैं। इस संग्रह की कविताओं की भाव भूमि कहीं प्रेम है तो कहीं रिश्ते। कहीं श्रद्धांजलि स्वरूप कुछ शब्द-पुष्प हैं तो कहीं मौसम की चुहल । कहीं कवयित्री ने प्राकृतिक छटा के प्रतीकों को अपनी रचनाओं में बिम्ब के रूप में प्रस्तुत कर कविताओं को गहराई प्रदान की है तो कहीं वो अपने पालतू से भी लाड़ लड़ाती हैं। संग्रह में कुछ छोटी रचनाएं हैं तो कुछ बड़ी। कुछ कविताओं में नया कलेवर है। कुछ रचनायें गीत की संरचना में और कुछ छंदमुक्त हैं। हर रचना पाठक को रूमानियत रूहानियत और भावनात्मकता के साथ जोड़े चली जाती है। कुछ दूसरे प्रतीक भी मोहक चित्र खींचते हैं जिनमें मौसम फूल हवा बारिश बूदें सावन धरती प्रमुख हैं। प्रकृति का हर रूप इनकी कलम से विस्तार पाता है। कवयित्री ने अपने इस संग्रह में भावों के बहुत से मौसम जिये हैं कुछ अच्छे कुछ मीठे कुछ टीस भरे। यही भाव इनकी कविताओं में प्रतिबिम्ब बनकर उभरते हैं और जन मानस तक पहुंचते हैं। अधिकतर कविताएं संवेदना की डगर पर खींच ले जाती हैं। रचनाओं की सहजता सरलता व गहरे भावों के साथ कहन शैली इस संग्रह की ख़ूबसूरती बढ़ाती है। इनके पहले प्रकाशित दो काव्य संग्रह कृति मेरी अभिव्यक्ति व आखर दिल के भी पाठकों द्वारा सराहना पा चुके हैं।
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