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About The Book
Description
Author
कहना मुश्किल है- ये रचनाएँ किस विधा में गिनी जायेंगी। कविता के भय से आज़ाद होने के बाद साहित्य की कोटि में भी गिनी जायेंगी या नहीं इस सोच से भी मुक्त होने के बाद जब मनरेगा के मजूर की तरह रोजनामचा-लिखना शुरू किया- ये तब की रचनाएँ हैं। इसीलिए ठीक से कहना मुश्किल है रोज़नामचे में लिखी गई ये गद्य रचनाएँ डायरी अंश हैं संस्मरण रेखाचित्र यात्रा-वृत्तान्त किस्से बतकही या कुछ और... । इनमें मनुष्य हैं- कुछ चित्र हैं चित्त और चरित्र के। अपना लिखा किसी साधारण पाठक से भी पढ़ा जा सके इतना पठनीय तो हो ऐसा अपेक्षा भाव खुद की जवाबदेही के निमित्त कहीं अंदर रहा होगा। ज़रूर। जैसा मन में आया वैसे लिखे गये रोजनामचे में से कुछ चुने हुए चित्र चरित्र हैं ये...।