Koi Flamingo kabhi Neela nhi hota

About The Book

निधि अग्रवाल की कविताओं में स्त्री मन की व्यथाएँ व सुकोमल अनुभूतियाँ घनीभूत होकर सामने आती हैं। यह कैसी विडंबना है कि महादेवी वर्मा जी की कविताओं में उपजे व्यथा के स्वर इतने दशकों बाद भी मद्धम नहीं पड़ पाए हैं। निधि अग्रवाल के पास छद्म अलंकारों से रहित एक पारदर्शी सहज भाषा है जो सीधे पाठक के अंतर्मन को स्पर्श करती है। भावों की सांद्रता है चिंतन का आलोक है। निधि की कविताएँ स्त्री-पुरुष के मध्य एक तरल सेतु निर्मित करती हैं न कि विभाजन की गहरी खाई। विमर्शों के प्रचलित खांचों को ध्वस्त करते हुए वह प्रकृति और मानवीय सामंजस्य की अवधारणा पर बल देती हैं मैं इनके रचना संसार का स्वागत करता हूँ और समकालीन कविता के गंभीर पाठकों से भी आग्रह करता हूँ कि वे मेरे हमराह बन इन कविताओं की राह चलें जो एक सुंदर सुकोमल संसार का प्रवेश द्वार हैं। -आलोक धन्वा
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