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Description
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कृष्ण क्षणवादी हैं। समस्त आनंद की यात्रा क्षण की यात्रा है। कहना चाहिए यात्रा ही नहीं है क्योंकि क्षण में यात्रा कैसे हो सकती है क्षण में सिर्फ डूबना होता है। समय में यात्रा होती है क्षण में आप लंबे नहीं जा सकते गहरे जा सकते हैं। क्षण में आप डुबकी ले सकते हैं क्षण में कोई लंबाई नहीं है सिर्फ गहराई है। समय में लंबाई है गहराई कोई भी नहीं है इसलिएजो क्षण में डूबता है वह समय के पार हो जाता है। जो क्षण में डूबता है वह इटरनिटी को शास्वत को उपलब्ध हो जाता है। कृष्ण क्षण में है और साथ ही शाश्वत में हैं। जो क्षण में है वह शाश्वत में है।