Krishan Tumhein pukaar rahe hain (कृष्ण तुम्हें पुकार रहे हैं)

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मुझे प्रसन्नता है कि अब तक इस गीता के चार संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं और हमें इसके पाँचवें संस्करण के प्रकाशन की आवश्यकता पड़ी। किसी भी लेखक के लिए इससे अधिक सुखद अनुभूति वाली बात क्या हो सकती है कि एक साथ अनेक पाठक हमें यह संदेश भेजते हों कि आज तक गीता पर हजार से ऊपर संतजनों ने इसकी विषद व्याख्या की है । लेकिन पहली बार किसी भाष्यकर्ता ने यह बताया है कि गीता मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त कराने वाला सैद्धान्तिक व्याख्या नहीं है बल्कि सम्पूर्ण गीता जीवन जीने की विधियों की व्याख्या है । इसलिए इसका नाम रखा गया- जीवन जीयें कैसे: गीता कहे जैसे ।.
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