कुछ तो सुना यार पपीहे डॉ. अनुज नरवाल रोहतकी का दूसरा ग़ज़ल संग्रह है जो जज़्बात की गहराइयों और ज़िंदगी के मुख्तलिफ़ एहसासात का एक ख़ूबसूरत संगम है। इससे पहले उनके ग़ज़ल संग्रह वो जैसा भी है मेरा है को बेपनाह मोहब्बत मिली थी। इस ताज़ा मजमूए में शाइर ने इश्क़ जुदाई ख़ुदअज़ीमी और समाज की पेचीदगियों को सादगी से मगर गहराई में बयान किया है। यह किताब पाठकों को ग़ौर करने और महसूस करने पर आमादा करती है गोया हर ग़ज़ल ज़िंदगी के अनछुए पहलुओं को सुनने का पैग़ाम देती है।
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