Kuchh Bhi Nahi Hota Anant


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About The Book

प्रद्युम्न का एक्टिविज्म उनकी कविताओं का मौलिक स्वर बनकर उभरा है। कविता संग्रह में अन्तर्ग्रथित चिन्ताएँ उनकी रोजमर्रा की ज़िन्दगी में शामिल चिन्ताएँ हैं जिनके सामने मानव विरोधी शक्तियों से मुठभेड़ करने का ईमानदार संकल्प मौजूद है। जीवन को विहंगम परिदृश्य में देखना महसूसना तथा जीवन के विस्तार को परखते हुए असंगतियों व यन्त्रणाओं की गहरी शिनाख्त करना कवि के अपराजेय आत्मविश्वास व संवेदनों की गरमाहट का प्रतीक है। यही कारण है कि अपने समूचे ताप के साथ ये कविताएँ जीवन में गहरी आस्था उत्पन्न करती हैं। प्रद्युम्न की भाषा और विधान दोनों में कलावादी चटखारे नहीं हैं। यहाँ भाषा में जटिल कथनों का अभाव है। सीधे और सतर्क बयानों में कहना उनकी आदत है। शब्दों की फिजूलखर्ची से वह बचते हैं। ये कविताएँ पाठक को जटिलता और वायवीय भावुक अतिकल्पनाओं से बचाकर जीवन में सजग रहने की हिदायत देती हैं और कविताओं में अनुस्यूत संवेदनों की आवेगपूर्ण अभिव्यंजना तथा स्पेस की कमी पाठक को सीधे कविता में प्रवेश करने का मार्ग सुलभ कराती है। - उमाशंकर सिंह परमार
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