Kuchh Bich Pankti Ke Saar

About The Book

कुछ बीच पंक्ति के सार के प्रथम खंड मे जीवन की वास्तविकताओ को काल्पनिक तरीके से शायराना अंदाज मे पेश करने की कोशिश की गयी है ।जिंदगी मे कही बार बोला कुछ ओर जाता है और उसका भाव या अर्थ कुछ ओर होता हैकई बार कुछ बोला नहीं जाता है पर सिर्फ समजना होता है-इसको बीच पंक्ति का सार बोलते है । जो व्यक्ति ये बीच पंक्ति के सार को नहीं समज सकता है वो मूर्ख है । पर ये बीच पंक्ति के सार को समजने के लिये थोड़ी सी बुद्धीमता की जरूरत होती है । हा इसमे कोई अलग से शिक्षित होने की जरूरत नहीं है बल्कि कई बार कम पढे लोग ये बीच पंक्ति के सार को ज्यादा जल्दी और अच्छी तरह समज सकते है ।जो लोग इस बीच पंक्ति के सार को जितना जल्दी समज ले उसको ही समजदार व्यक्ति कहा जाता है । यहा पर पुरानी कहावतोंपुरानी कथाओ के संदर्भ मे भी जीवन की वास्तविकताओ को समजाने की कोशिश की गयी है। इसमे समाज के हर व्यक्ति के द्रस्टीकोण से शायरी लिखी गयी है चाहे वो प्रेमी होगरीब होअमीर होमजदूर होसाधू-संत हो या खुद खुदा क्यू न हो । जिस नज़्म को समजने मे कठिनाई हो रही है इसके ऊपर थोड़ा सा शीर्षक दिया गया है ताकि समजने मे आसान रहे । ये सब शायरी हर इंसान को कही ना कि किसी भी रूप मे अपने जीवन से ताल्लुक रखती होगी । कुछ बीच पंक्ति के सार के द्वितीय खंड मे छोटी-छोटी कविताओ का संग्रह है । खास दोर पे ये कविताये प्रकृति पर लिखी गयी है । हम सुख-शांति ढूँढने के चक्कर मे प्रकृति से बिखरते ही गये पर हुआ उल्टा की सुख की बजाय हमारे जीवन मे अशांति बढ़ती ही जा रही है । इस काव्य संग्रह का एक ही उदेश्य है की हम प्रकृति की ओर वापिस आये ।
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