‘कुछ लम्हे ज़िन्दगी के’ इक्कीस कहानियों का एक ऐसा संग्रह हैं जिसमे विभिन्न प्रकार की सामाजिक घटनाओं का वर्णन किया गया है एवं ये सभी कहानियाँ काल्पनिक हैं हमें अक्सर ये देखने व सुनने को मिलता है कि आजकल बुजुर्गों का कोई सम्मान नहीं किसी के पास उनके लिए वक़्त नहीं और इसी वजह से परिवार टूट जाते हैं लेकिन इस संग्रह में ये बताया गया है कि सभी लोग एक जैसे नहीं होते अगर कहीं बु़जुर्गों का अपमान है तो कहीं सम्मान भी। आजकल आए-दिन हमारे आस-पास कुछ ऐसी घटनायें घट जाती हैं जिस वजह से किसी का विश्वास करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है चाहे वो अपने हों या पराए इस संग्रह में कुछ ऐसी कहानियों से भी रूबरू करवाया गया है। रिश्ते निभाना हो या दोस्ती या करना हो अतिथि सत्कार बखूबी किया जाता है हमारे देश में और इस बात को भी कहानियों मे ढालकर प्रस्तुत किया गया है। जीवन के विभिन्न पहलुओं का ये कहानी-संग्रह पाठकों को अवश्य पसंद आयेगा।.
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