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About The Book
Description
Author
पुस्तकें हमें संस्कार और ज्ञान देकर एक अच्छा इंसान बनाती है लेकिन आज का युग मोबाइल जैसे इलेक्ट्रानिक यंत्रों का है लोग केवल कविताओं को क्षणिक मनोरंजन का साधन बना रखा है कवि सम्मेलनों में सुनकर तालियाँ बजाकर वाह वाह कर कविताओं के उद्देश्य को भूल जाते हैं । अधिक कहना अतिसयोक्ति होगी परन्तु पुस्तकें फुटपाथ पर बिखरी मिलती हैं और जूते शोरूम में बिकती हैं । पुस्तकों की स्थिति अति दयनीय हो गयी है फिर भी ये पुस्तक “ कूड़े में पड़ी कविता अपने लक्ष्य पर अडिग हैं और मानव सभ्यता का पथ प्रदर्शन करती चली आ रही हैं और भविष्य में करती ही रहेंगी । धन्यवाद आपका आचार्य रमेश तिवारी लल्लन गुलालपुरी