Kulhad Ki Chai Aur Kuen Ka Pani

About The Book

कविताएँ जो इस किताब में संकलित है वो मेरी भावनाएँ है जो वर्षों से मेरे मन मे उठती थी और मैं उन्हें शाब्दिक रूप दे देता था। प्रकृति में घट रही घटनाएँ या उसकी ख़ूबसूरती को देखने का नज़रिया सबका अलग होता है सबकी प्रतिक्रिया अलग होती है। मैंने इन्हें देख कर क्या महसूस किया मेरे अंतर में जो भावनाएँ जागृत हुई हर कविता के माध्यम से मैने उसे उधृत करने का प्रयास किया है। इस किताब की अधिकांश कविता मोबाइल में लिखी गई है जो ऑफिस जाने आने के समय का सदुपयोग था। मैं हमेशा से यह सोचता था कि क्या कभी कोई मेरी इन भावनाओं से खुद को जोड़ पाएगा आज इसका जवाब आप सब हो। मैं अपनी भावनाओं को इस किताब के माध्यम से आपके पास छोड़े जाता हूँ अगर आप इस से खुद को जोड़ पाते है तो किताब के प्रकाशन का उद्देश्य पूरा हो जाएगा।
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