वरिष्ठ साहित्यकार डा. अजय शर्मा भारत के यशस्वी उपन्यासकार हैं। इनके चार उन्पयास विभिन्न यूनिवसर्सिटीज में पांच क्लासों में पढ़ाए जाते हैं। कुमुदिनी उपन्यास का फलक बहुत ही विस्तृत है। उपन्यास का कथानक लीक से हटकर है। इस उपन्यास में आई.वी.एफ तकनीक को लेकर सारे उपन्यास का ताना-बाना बुना गया है। उपन्यास की विशेषता यह है कि घटनाएं कब स्थितियां और स्थितियां कब मनःस्थियों में बदलती हैं इसका अंदाजा होने से पहले ही चरित्रों की रेखाओं में हरकत और हरारत महसूस होनी शुरू हो जाती है। घटनाएं ऐसी हैं कि आंखों के वर्तमान से उसे पहचानने का साहस चाहिए। ऐसा कहना गलत न होगा कि कुमुदिनी उपन्यास हमारी तेज तरार जिंदगी का आईना है और बदलते परिवेश में बदलती समस्याओं को हमारे सामने बड़े ही संवेदनशील तरीरके से लाता है। डाक्टर अजय शर्मा ने अपने दोहरे व्यवसाय के अनुभवों का इस्तेमाल इतनी खूबसूरती से किया है कि पाठक चुनौतियों को नकारता नहीं बल्कि पात्र के साथ बह जाता है।
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