Kuthanv

About The Book

कुठाँव में स्त्री और पुरुष का प्रेम और वासना का हिन्दू और मुसलमान का और ऊँची-नीची जातियों का एक भीषण परिदृश्य रचा गया है। अब्दुल बिस्मिल्लाह समाज और विशेष रूप से मुस्लिम समाज की आन्तरिक विडम्बनाओं और विसंगतियों को बखूबी चित्रित करते रहे हैं। इस उपन्यास में मेहतर समाज की मुसलमान औरत इद्दन और उसकी बेटी सितारा है जो ऊँची जाति के पैसेवाले मुस्लिम मर्दों से लोहा लेती हैं। स्त्री और पुरुष के और भी आमने-सामने के कई समीकरण यहाँ रचे गए हैं और यौन को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करके अपनी सामाजिक और मर्दाना प्रतिष्ठा को द्विगुणित करने के कुप्रयासों का भी निर्दयतापूर्वक भंडाफोड़ किया गया है। यह प्रश्न कि सदियों से ताकत के क़िस्म-क़िस्म के चौखटों में जकड़ी लड़ती-भिड़ती और जीतती-हारती औरतों के लिए आखिर मुक्ति की राह कहाँ है? इस सन्दर्भ में उपन्यास सपनों की अनन्त उड़ानों पर विराम लेता है। हम जान पाते हैं कि यह सपने ही हैं जो उन्हें अन्तत: मुक्ति की मंजि़ल तक ले जाएँगे। तब न कोई अपनी दैहिक ताकत से उन्हें परास्त कर पाएगा न सामाजिक ताकत से।.
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