Kya Sunae Hale Dil

About The Book

हफ़ीज़ बनारसी की शायरी रंग-बिरंगे फूलों का ऐसा गुलदस्ता है जिसकी ख़ुशबू देश ही नहीं बल्कि देश की सीमाओं को लांघकर विदेशों तक जा पहुंची है। हफ़ीज़ बनारसी एक ऐसा नाम है जो अपने समकालीनों की ज़बान पर हमेशा सम्मान के साथ तैरता रहा। उनकी शायरी में कहीं मुहब्बतों का धनक रंग दिखाई देता है तो कहीं देशप्रेम से लबरेज़ चश्मे उबलते मिलते हैं। कहीं भारतीय संस्कृति की बेले़ परवान चढ़ती दिखाई देती हैं तो कहीं समाज के प्रति देनदारियों की लहलहाती फ़स्लें पाई जाती है। उनकी शायरी अगर धड़कते दिलों के लिये ख़ूबसूरत नग़मा है तो थक-हारकर निढाल हुई तहज़ीब के लिये संबल भी है। अच्छा साहित्यकार वही है जिसकी कल्पना शक्ति आकाश की ऊंचाइयों की ओर उड़ान तो भरे लेकिन ज़मीनी सच्चाइयों को भी नज़रअंदाज़ न करे। यही काम अपनी शायरी के ज़रिए हफ़ीज़ बनारसी साहब ने किया है। वह अपनी कल्पना शक्ति को आकाश की ऊंचाइयां तो प्रदान करते हैं लेकिन उसका दूसरा सिरा अपने हाथों से नहीं छूटने देते। यही कारण है कि उनके शेर पढ़ने और सुनने वालों के दिलो-दिमाग़ पर छा जाते हैं। हफ़ीज़ साहब अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनके अशआर अपनी इंद्रधनुषी छटा बिखेरते हुए साहित्य के आकाश को आज भी रोशन कर रहे हैं।
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