विभाजन का दर्द अस्थायी रूप से मैंने भी झेला है। पिता पाकिस्तान में थे विभाजन के बाद भारत आए। जहां शाहबाद हरियाणा में मेरा जन्म हुआ जो कुरुक्षेत्र के पास है। लेकिन दाना पानी मध्य प्रदेश में लिखा था सो छिंदवाड़ा आ गए। मन अशांत था कुछ अच्छा करना चाहता था सो मुम्बई में भी अपने अशांत मन को समझाने ले गए लेकिन proper àpproach ना होने के कारण निराशा ही हाथ लगी। हिम्मत फिर भी नही हारी ओर वक्त फिर भोपाल ले आया जहां वेदना ने अंकुरित हो एक किताब का रुप लिया जो आपके सामने है। आपका आशीर्वाद भरा साथ मुझे प्रेरणा देगा ओर अपने मुकाम तक पहुंचाने में शक्ति देगा। करना तो बहुत कुछ चाहता हूं लेकिन आपके सहयोग के बिना अधूरा हूं। कृपया अपने कीमती वक्त में से कुछ वक्त मेरे लिए एक सलाह के रूप मे अवश्य दे ताकि मैं ओर अच्छा कर सकू।जयदेव चड्ढा
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