यह किताब नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक वेंकी रामकृष्णन द्वारा लिखी गई है और इसमें उम्र बढ़ने और मृत्यु के विज्ञान पर व्यापक रूप से चर्चा की गई है। लेखक बताते हैं कि उम्र बढ़ना और मृत्यु दोनों ही हमारी जैविक प्रकृति के हिस्से हैं। किताब में बताया गया है कि कैसे हमारे डीएनए प्रोटीन टेलोमेयर और माइटोकॉन्ड्रिया जैसी कोशिकीय संरचनाओं में समय के साथ बदलाव हमें बूढ़ा करते हैं और बीमारियों की ओर ले जाते हैं। किताब मानव इतिहास में अमरता की खोज जीवन और मृत्यु के बीच गहराई से जुड़े सवाल और सभी प्रमुख धर्मों में मृत्यु तथा अमरता की अवधारणाओं की झलक भी दिखाती है। अंत में लेखक यह सवाल उठाते हैं कि क्या मृत्यु आवश्यक जैविक उद्देश्य की पूर्ति करती है और यदि हम अमरता को पा भी लें तो क्या वह हमारे लिए वाकई फायदेमंद होगी।
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